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इफ दी डॉग बिलोंग्स ट यू ,सो डज़ हिज एक्स्क्रीटा। लेकिन ये कुत्ताए लोग इसकी अनदेखी करते हैं। गंधा रखा इन्होनें कॉलोनी मोहल्लों पार्कों को

Pet Waste Transmit disease
Leash your dog Keep your area clean when your dog has...........
It is a Law ,Violaters will be fined $20.00 to $200.00
हैरन्डन (DullesGreen St., Harondon ,Virginia) से वीरुभाई :
ट्राई -स्टेट्स वर्जिनिअ -मैरीलेंड -वाशिंगटनडीसी वीक एंड मनाने मैं भी अपनी बेटी के परिवार के साथ कैन्टन (मिशिगन) से यहां चला आया हूँ। गुज़िश्ता कई बरसों से यही प्रबंध है प्रभु का जून से नवंबर तक मैं यहां अमरीका में होता हूँ। शाम को अक्सर सैर को निकल जाता हूँ।
वैसे शाखामृग यानी पैट (स्वान ,कुत्ता कहना ज़रा अटपटा लगता है कई और लोगों में ये गुण चला आया है जो अक्सर कुत्ताए रहतें हैं ,इसीलिए हम पैट सम्बोधन ही इस्तेमाल में लेंगे। )हमारे पर्यावरण का यूं हिस्सा नहीं था जैसा अमरीकियों ने उसे बना दिया है। घर के एक सम्माननीय सदस्य का दर्ज़ा प्राप्त है उसे। हर पैट के पीछे यहां एक डॉग ट्रेनर है।
आप सैर को निकलें हैं तो अमरीकी आपसे कनेक्ट करेगा हेलो,हाउ आर यू टुडे कहके आप से संवाद करेगा चाहे आप कोई भी क्यों न हो। प्रैम में बैठा मुस्काता शिशु भी आपसे मुखातिब होगा हाथ हिलाकर।
बात पैट की चल रही थी। सैर की चल रही थी तो ज़नाब एक मर्तबा आप अमरीकी से उसका हाल पूछे न पूछे उसके लाडले पैट का ज़रूर पूछे ज़वाब मिलेगा -शी इज़ नाट वेळ टुडे ....,ही इज़ नाट मीन ,ही इज़ फ्रेंडली। आप बे झिझक उसे पुचकार सकते हैं।
हर अमरकी जहां जहां पैट डिस्पोज़ल बिन्स नहीं लगें हैं वहां वहां खुद उसके मल को ,एक्सक्रीटा ,पैट वैस्ट को ,डॉग पूप को पूपर स्कूपर से समेटेगा। पॉलिथीन में डाल के चल देगा।
यहां हैरन्डन में वेस्ट बिन्स भी हैं पोलिथिन बैग्स भी उसी के साथ हैं ,चेतावनी भी उसी के साथ चस्पां है:
It is a Law Violaters will be fined $20.00 to $200.00
कैलफोर्निया के सेन्होज़े में भी हमने यही प्रबंध देखा वहां साथ में हैन्सेनिटाइज़र भी उपलब्ध है वेस्टबिन और पोलीथीन के संग संग।
सोचता हूँ कुछ तो हमारे इंडिया में भी किया ही जा सकता है क्लीन सिटी कहे जाने वाले नगरों से इसकी शुरुआत हो सकती है। आखिर अमीर लोगों का शौक है शगल है स्टेटस सिम्बल है ,सिक्युरिटी है हिन्दुस्तान में कुत्ता पालना।
एक किस्सा याद आ गया। एक मर्तबा हमारे पूर्व राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र बाबू एक नाव में बैठे थे। नाव में एक किनारे पर एक गौरांग भी बैठा था। वह मज़े से सिगरेट पी रहा था। धुआँ हवा के रूख के साथ बाबूजी की तरफ आ रहा था।
बाबूजी ने उससे पूछा महोदय ये सिगरेट आपका है उसने कहा हाँ !बाबूजी बोले -फिर ये धुआँ भी तो आपका ही हुआ इसे भी अपने पास ही रखो भैया। यु चैन स्मोक एज़ लांग एज़ यू डोंट एग्ज़्हेल।
गौरांग प्रभु ने सिगरेट तुरंत फैंक दी मुस्काया ,शुक्रिया अदा किया बाबूजी का।
तो ज़नाब अमीरजादे कुत्ता घुमाते हैं और उसका मलमूत्र वहीँ छोड़ जाते हैं।
बिना टांग उठाये यही कर्म करते हुए आपको कई और भी मिल जाएंगे। बात उनकी नहीं हो रही है। ये और किस्सा है। वो और बात है।
मुंबई में नेवी नगर प्रवास के दौरान हमने और ही नज़ारा देखा। वहां डॉगपूप समेटने के लिए एक व्यक्ति नियुक्त है। कुत्ता किसी का भी हो कोई भी कुत्ताए डॉग पूप वही उठाएगा। डॉग पूपर लिए वह घूमता है सुबह , दोपहर, शाम।
हमें शरम आती है अपने लाडले पेट का वेस्ट उठाने में। उस अमरीकी को नहीं आती जो हमसे कई गुना ज्यादा रईस है। यहां अपना काम खुद करना एक मूल्य बोध है। यहां डोमेस्टिक हेल्प रखना न तो मूल्य है न हिन्दुस्तान की तरह बेगार उठाने वाला लाचार ही उतना सस्ता मिलता है । यहां ,हमारे यहां अक्सर ऐसे आदमी को हिकारत की नज़र से देखा जाता है जो अपना काम खुद करता है । और तो और अगर कोई मर्द घर में खुद चाय बना रहा हो और उसका कोई जानकार घर में चला आये तो फट कहेगा क्या बात है भाभीजी घर में नहीं हैं। अब भले आदमी चाय बनाने का बीवी से क्या सम्बन्ध है तू हमें एक सम्बन्ध बता प्रति संबंध हज़ार रुपया ले। बेटे फेरे डालते समय यह तय नहीं हुआ था। बात करता है।

विशेष :

सनातन क़साई बनाम  कुत्ताए लोग

यूं स्वान (कुत्ता जी )हमारे पर्यावरण का हिस्सा नहीं रहा है लेकिन इस मामले में गोरों की तारीफ़ करनी पड़ेगी जिनके घर के बाहर लिखा होता है। माई होम इज़ वेअर माई डॉग इज़। ये लोग अपने पैट को डायपर तो नहीं पहनाते लेकिन उसका मलमूत्र ,एक्स्क्रीटा पूपर स्कूपर से खुद उठाकर उसका निपटान करते हैं। इलाज़ मुहैया होता  उनके पैट को डायबिटीज से लेकर कोरोनरी बाई पास ग्रेफ्टिंग तक.

हमारे अमीरज़ादे पैट को इलाज़ तो  मुहैया करवाते हैं लेकिन आसपास के पर्यावरण को गंधाते है -दिल्ली का सबसे लोकप्रिय पार्क लोदी   गार्डन भी इनके लाडलों के मलमूत्र से गंधाता है। जगह जगह  डॉग एक्स्क्रीटा आपको परेशान करेगा।

इफ दी डॉग   बिलोंग्स ट यू ,सो डज़ हिज एक्स्क्रीटा। लेकिन ये कुत्ताए लोग इसकी अनदेखी करते हैं। गंधा रखा  इन्होनें कॉलोनी मोहल्लों पार्कों को।

आइये अब भारतीय नस्ल की गाय की बात की जाए विदेशी जिसका मूत्र आयात करते हैं दवा निर्माण के लिए। गौ रेचन (गाय के कान का मैल )मीग्रैन में रामबाण है। तो पंचगव्य यज्ञ को सम्पूर्णता प्रदान करता है। गाय का दूध ,घृत ,दही ,गोबर  ,गौ मूत्र  से एक ख़ास अनुपात में मिलाने से प्राप्त होता है पंचगव्य। गाय जब अपने हिस्से का दूध दे चुकी होती है प्रजनन भुगता चुकी होती है तब भी उससे प्राप्त सारे उत्पाद चारे की कीमत से ज्यादा ही रहते हैं।

लेकिन चारे के  स्थान पर उसे मिलता है पॉलीथिन का पेकिट जिसमें डिस्पोज़बल ब्लेड भी हो सकता है  है टूटा  कांच भी रसोई से निकला कचरा भी ऑर्गेनिक इनऑर्गेनिक सब कुछ उसे कचरे के ढेर से निशुल्क मिलता है।

सनातन कसाई  हैं गाय को दुह कर कचरे के ढेर पर छोड़ने वाले लोग। कसाई तो एक ही बार ज़िबह करता है लेकिन ये शहरी खिलाड़ी रोज़ उसकी हत्या करते हैं। 

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