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ज़ुल्म की मुझपर इंतिहा कर दे , मुझसा बे -जुबां फिर कोई मिले न मिले।

मनमोहन -२  उतना लाचार नहीं है कर -नाटक का मनमोहना-२  जितना की मनमोहना -१ था, तकरीबन -तकरीबन ज़र खरीद गुलाम सा.उसी की सरकार के निर्णय को कांग्रेस के सबसे अल्पबुद्धि राजकुमार ने फाड़ के फैंक दिया था। तब एक शायर ने इस स्थिति पर कहा था : ज़ुल्म की मुझपर इंतिहा कर दे , मुझसा बे -जुबां फिर कोई मिले न मिले।    नाटक तो अब कर्नाटक में शुरू हुआ है।अभी तक विदूषक की ही मंच पे आवाजाही थी।  कुमार -सामी (आसामी नहीं )अपने पिता -श्री  -जी के साथ हुई बदसुलूकी भूले नहीं हैं। गौड़ा -देव-जी  अभी जीवित है। मल्लिका से पाई -पाई का हिसाब लिया जाएगा।  कैसी दया ?दया और मल्लिका ? ये राजनीति की उलटबासी है दोस्तों। मंत्रालय बन ने दो।  

जब तलक व्यभिचार को समाचार बनाने का कौशल कांग्रेस करती रहेगी 'कर -नाटक ' होता रहेगा

जब तलक व्यभिचार को समाचार बनाने का कौशल कांग्रेस करती रहेगी 'कर -नाटक ' होता रहेगा। जब तलक एमएलएज को रेबड़ की तरह हाँक कर होटल में बंद किया जाता रहेगा 'कर -नाटक 'होता रहेगा। कांग्रेस मुक्त भारत का मतलब -नारी को ,एमएलएज को अपहरण से बचाने का संकल्प है। इस अपहरण नाटक की शुरुआत विषकन्या कांग्रेस ने ही की थी। जब तलक ये विषकन्या जीवित है भारत मरता रहेगा। लोकतंत्र वोटतंत्र बना रहेगा। पाकिस्तान की बांछे खिलती रहेंगी। यूं अपनी बुद्धि से न कोई कहीं पैदा हो सकता है न मर सकता है। परन्तु किसी अबुद्ध कुमार (अबुध कुमार मूर्खमणि )का राजपरिवार में पैदा होना कितना घातक हो सकता है इसे बतलाने समझाने दोहराने की ज़रुरत नहीं है। कांग्रेस एक विघटनकारी बल है जब तलक ये बल है भारत मरता रहेगा। पाकिस्तान में देश को तोड़ने की पटकथा  कंकड़ मणि  भयंकर एवं ऐसे ही अन्यों को भेज  लिखवाती  रहेगी । पहले इनके पुरखे गोरों के ,फिरंगियों के मुखबिर थे जिनके पक्ष में गवाही देकर शहीद भगत सिंह को फांसी लगवाई गई थी। कर्नाटक  में नाटक करके येदियुरप्पा के इस्तीफे पर जो विषकन्या कांग्रेस जश्न मना रही है उसे शर्म आनी 

क्या कहते हैं मूर्खमणि साहब -जादे

क्या कहते हैं मूर्खमणि साहब -जादे  लालूजी के एक सुपुत्र कहते हैं -देश में सबके लिए एक ही कानून हो। इस वक्तव्य के बौद्धिक निहितार्थ से उनका कोई लेना देना नहीं। यहां अपने राजनीतिक लाभ के लिए एक अर्थ चोर चाराखोरी के बाद जेल चला जाता है अपनी बीवी को डीसी बना जाता है ,बेटेजी आपके कुनबे में इसका इतना ही मतलब रहा है। एक और अबुध कुमार (कथित गांधी कुमार) भारत देश को पाकितान बताता है। इसे भारत पाकिस्तान नज़र आता है। सीधे -सीधे क्यों नहीं कहता है हम पकिस्तानी हैं मुस्लिम बीज़ हैं। सोनियाजी ने यदि एक आलोक मणि पैदा कर दिया तो उसका खामियाज़ा देश क्यों भुगते ?नेहरूजी में एक साफगोई थी बिंदास बोलते थे -मैं इत्तेफाक से हिन्दू हूँ मेरा ज़ेहन (मन ,दिलोदिमाग इस्लामी )है। ये अबुध कुमार देश का न इतिहास जानता है न भूगोल। जैसा बीज़ वैसा फल। इन पाकिस्तान -प्रेमी कांग्रेसियों  को  पाक कहता है -सभी संविधानिक संस्थाओं को तोड़ दो। इलेक्शन कमीशन को भी निशाने पे लिए रहो। मशीनों को भी मत छोड़ो। इस अबुध कुमार को अपनी पार्टी का भी इतिहास नहीं मालूम। अलबत्ता इनकी दादी ज़रूर देश पर आपात काल थोपकर भी राज करतीं रहीं। दस साल म