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उल्लुओं की कुछ बात ही और है। इन्हें यहां बैठे भूमंडलीय घटनाओं का नज़ारा दिख जाता है। ये राजनीति के उल्लू हैं. पक्षी नहीं विपक्षी हैं। एक नहीं इनके तेरह सिर हैं इनकी गर्दनें ३६० डिग्री घूम सकतीं हैं। घूमती रहतीं हैं। इसीलिए नित नई ट्वीट नित नै अफवाह ये रच रहे हैं

  उलूक टाइम्स  सुना है हरियाणा कोरोना कालीन इतिहास लेखन की पहल कर रहा है इस एवज़ इतिहासकारों का भी चयन कर लिया गया है। इनमें से एक भी उलटी चाल लेफ्टीया इतिहासकार नहीं होगा ऐसी आशा की जा सकती है। ये नेहरुवीयन भारत नहीं है।  इधर इसके समानांतर उलूक टाइम्स के तहत  उलूकों का इतिहास भी खुद ब ख़ुद इतिहास के पन्नों पर उतरता  जा रहा है ताकि सनद रहे इस कोरोना काल में अफवाओं का बाज़ार कितना गर्म रहा है। कहीं ये अफवाह है ,के शमशान में लकड़ी नहीं बची इसीलिए मुर्दे गंगा की रेती में दबा दिए गए हैं । कहीं ये के भारत के पास कोविड वेक्सीन नहीं हैं। राज्यों को वेक्सीन नहीं दी गई हैं।  भाई साहब आपको बतलादें  -होती उल्लू के भी दो ही आँख हैं लेकिन ये चहरे के आगे फिक्स्ड सॉकिट स्थाई कोटरों में जड़ी होती हैं कनखियों से उल्लू नहीं देख सकता अलबत्ता अपने गर्दन २७० डिग्री घुमा सकता है। बैकअप आर्टरीज़ होतीं हैं उल्लू के पास। हम और आप ऐसा नहीं कर सकते सब कुछ चटक जाएगा इंटरनल ब्लीडिंग शुरू हो जाएगी ब्लड वेसिल्स फट जाएगी।  उल्लुओं की कुछ बात ही और है। इन्हें यहां बैठे भूमंडलीय घटनाओं का  नज़ारा दिख जाता है। ये राजनीति के उल