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जून, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

एक ग़ज़ल कुछ ऐसी हो ,डेमोक्रेसी जैसी हो , मेरा चाहे जो भी हो ,तेरी ऐसी तैसी हो। डेमोक्रेसी ऐसी हो

यादों के झरोखे से -३  सीवीएस फार्मेसी चौबीसों घंटा खुली रहती है। यहां दूध भी मिलता है वाइन भी  यानी दवा भी दारु भी । फोटोग्रेफ्स भी बनवाते हैं यहां लोग। कॉस्मेटिक्स से लेकर परिधान तक सब कुछ यहां उपलब्ध है। यूं इसके गिर्द एक बड़ा खुला -खुला कार पार्क भी है तमाम अमरीकी स्टोर्स की तरह।   बाज़औकात(कभी -कभार ) आपका ध्यान कहीं और होता है और कार पार्क करते वक्त किसी और की गाड़ी आप ठोक देते हैं।  उस दिन ऐसा ही वाक्या गुंजन के साथ हुआ अमूमन वह ये एसयूवी लेकर नहीं चलती है उसकी अपनी अलग उसी की तरह क्यूट गाड़ी है जिससे वह डाउनटाउन डेट्रॉइट जाती रही है कैंटन से बरसात हो या बर्फबारी यहां सड़क रूकती नहीं है।सब अपने अपने काम पे पहुँचते है।   किसी आकस्मिक दुर्घटना आगजनी के वक्त एक तरफ का ट्रेफिक खुद -ब -खुद रुक जाता एक लेन चलती रहती है, बाकायदा।  उस दिन गुंजन के साथ भी कुछ अलग सा हुआ कार पार्क खाली सा ही था फिर भी अपनी  एसयूवी उसने एक काली शांत खड़ी गाड़ी से भिड़ा दी।  एक पल को उसने सोचा भाग खड़ी होवूं ,दूजे पल फिर ध्यान ये आया हो  न कहीं रुसवाई। यहां मैं भारतीय हूँ। तेज़ कदमों से वह फार्मेसी में दाखिल हुई मैनेज

ये जन -अहित याचिकाकर्ता सब जानते हैं ये क्या कर रहें हैं

ये जन -अहित याचिकाकर्ता  सब जानते हैं ये क्या कर रहें हैं   गत कई बरसों से केंद्र में सत्ता बदली के साथ हर चीज़ 'पेड ' चल पड़ी है शादी में मुंह खोलकर मांगे गए दहेज़ की तरह फिर चाहे वह पेड न्यूज़ हो या ट्वीट और अब जनहित याचिका।  तुलसीदास ने कहा था : परहित सरिस धर्म नहीं भाई , पर  पीड़ा सम नहिं अधमाई।  तमाम किस्म के परपीड़क इन दिनों खरपतवार से फल फूल रहें हैं देसी विदेशी पैसे पर वेषधारी  किसान टर्मॉइल से लेकर सेन्ट्रल विस्टा के खिलाफ गाहे बगाहे प्रकटित आक्रोश -जीवियों  से।  ताज़ा -तरीन मामला मैडम  आन्या  मल्होत्रा (पेशे से अनुवादक )एवं सोहैल हाशमी (वृत्त चित्र निर्माता )द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिका से ताल्लुक रखता है जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्हें अच्छी फटकार लगाईं गई है एक बेहद महत्व के राष्ट्रीय मुद्दे पर जिसे मैं और आप सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के नाम से  जानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे निर्देशित और फ़िज़ूल की  याचिका बतलाया है जुर्माना भी ठोका है दोनों पर एक लाख का।  बतलाते चलें वर्तमान संसद भवन पुराने जमुना पुल की तरह अपनी आयु भुगता चुका है इसे बनाये रखने पर अब खर्च  बे -शुमार आ