सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कुण्डलिनी ऊर्जा केंद्र :हमारे शरीर में कहाँ और कौन सा ऊर्जा केंद्र है ?

Search Results


योग विद्या से ताल्लुक रखने वाली तमाम किताबें हमारे शरीर में ऊर्जा केंद्रों की बात करतीं हैं। ये ऊर्जा चक्र हमारे सूक्ष्म शरीर की निर्मिति करते हैं। हमारे चित्त को खुश या ग़मज़दा बनाते हैं कभी हम नाहक़ बिला -वजह ही बहुत प्रसन्न परमसन्तुष्ट दिखलाई देतें हैं और कभी उदास खुद से ही खफा -खफा तो ये सब किया धरा इन चक्रों का ही होता है जो या तो अवरुद्ध होतें हैं या अतिसक्रिय। इनकी तुलना कमल पुष्प और उसकी पंखुड़ियों से की गई है। 

ये ही हमारे हाव -भावों ,अनुभावों ,मनोभावों की चाबी हैं लगाम हैं। हमारे शरीर के अंगों पर काबू या नियंत्रण ये ही चक्र रखते हैं। ये ही विभिन्न अंगों के समन्वयकर्ता कोऑर्डिनेटर हैं। समस्वरता समरसता सामंजस्य या फिर विषमस्वर असहमति यही रचते हैं।इनके असर से कमोबेश  हम सब वाकिफ हैं। ध्यान या योग की क्रिया करने वाले कुछ ज्यादा सामान्य आदमी थोड़ा सा कम.

सिरदर्द हो या बदन दर्द ,अवसाद हो या चिड़चिड़ापन या  खिन्नता हाथ पैरों का स्वयं चालित संचालन इन्हीं ऊर्जा केंद्रों के पार्श्व प्रभाव के रूप में देखे समझे जा सकते हैं।

यहां तक की सांस की लयताल ,या फिर बे -तरतीबी से साँसों का चलना इनकी ही सौगातें हैं।

बाकायदा स्पेक्ट्रम के रंगों की तरह इनके नाम और वर्ण हैं । ये संसार नाम और रूप की ही सृष्टि है। हर चीज़ का एक नाम है।इनके भी नाम और वर्ण हैं ,इनमें से सात ऊर्जा केंद्र चर्चित रहे हैं :

(१ )लाल रंगी मूलाधार (Basal Or root wheel )

(२ )  नारंगी या ऑरेंज स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral wheel )

(३  )पीतवर्णी या पीला मणिपुर या मणिपूरक (Solar plexus ,स्नायु गुच्छ ,सौर -जाल )

(४ )हरा वर्ण लिए अनाहत या हृद चक्र (Heart wheel )

(५  )नीले रंग वाला कंठ चक्र या विशुद्ध चक्र (Throat wheel )

(६ )नील के पौधे जैसा नील -वर्णी आज्ञा चक्र (Brow wheel )

(७ )बैंगनी सहस्रार चक्र (Crown wheel )

इनमें से प्रत्येक की अवस्थिति और काम निर्धारित है जैसे ये किसी एक शहर  के सात मोहल्ले हों ,कॉलोनियां हों :

(१ )मूलाधार चक्र :यह गुदा और लिंग के बीच पैरीनियम (Perineum )कहीं पुरुषों में और गुदा और  योनी  के बीच कहीं महिलाओं में अवस्थित रहता है। सुप्तावस्था में यही स्त्रीलिंगी कुंडलिनी -शक्ति ,विपुल -ऊर्जा यहां पड़ी हुई है। इसे ही भुजंगिनी ,ईश्वरी ,नादशक्ति भी कहा गया है। संसार से यही मूलाधार हमें जोड़ता है। हमारी वासनाओं का केंद्र यही है। जब तक वासनाएं शेष हैं इनकी पूर्ती के लिए जीवन मरण चलता रहेगा। 

लोगों को बहकाया जाता है 'तुम ही शिव हो' ,कुण्डलिनी जागने की देर है ईश्वर- वीश्वर कुछ नहीं हैं अनीश्वर -वाद का पोषक है कुंडली जागरण का दावा करने वाला धंधेबाज़। क्योंकि  ऐसे कितने लोग हैं आज जो वीत -राग है निरमोहा हैं ,जीवन और जगत से जिनका कोई अब लेना देना ही नहीं हैं जिनकी हर प्रकार की वासना चुक गई है।इसलिए इनके झांसे में न आइये। 

मूलाधार को उठाके सहस्रार तक पहुंचा देना है कथित कुण्डलिनी जागरण।जो आपको विक्षिप्तत अवस्था  में ले जा सकता है क्योंकि आज न वह अनुशासन है न अनुशासित गुरू।  

(२ ) स्वाधिष्ठान चक्र त्रिक (कमर के पीछे की तिकोनी हड्डी )में हमारे प्रजनन अंग के ठीक ऊपर सेक्रल (Sacral)में  अवस्थित है। यौन सुख ,सुखाभास ,हमारे मनोरंजन और विलास  का केंद्र यही है। 

(३ )मणिपूरक चक्र (solar plexus )नाभि के थोड़ा नीचे रहता है। हमारा आत्मबल आत्मविश्वास अपने आसपास को प्रभावित  करने की कूवत इसी ऊर्जा सोते में है। 

(४ )अनाहत या (Heart Chakra )हमारी छाती के मध्य प्रदेश में वहां है जहां पसली -पंजर (Rib Cage )आकर मिलती है। छाती की हड्डी आ मिलती है। यहीं उमगता है प्रेम 'लव अट फस्ट साइट' ,हमारे रागात्मक संबंधों का ऊर्जा केंद्र यही है। 

(५ )विशुद्धि चक्र कंठ गह्वर (Pit of the throat )में अवस्थित है इसीलिए इसे कंठ चक्र भी कह समझ सकते हैं। अभिव्यक्ति का माध्यम यही बनता है। वाक्पटुता ,वाग्मिता इसी से है। कम्युनिकेशन स्किल्स इसी से है। 

(६ )आज्ञा चक्र ,ज्ञान चक्षु ,त्रिनेत्र (Third eye wheel )भवों (eye brows )के बीचोंबीच बतलाया गया है। इसे ही तीसरा नेत्र भी कहा  गया है। महिलाओं का सिक्थ सेन्स यहीं हैं। सहज बुद्धि ,सहजबोध ,बुद्धिमत्ता का संचालन यहीं से होता है यही है कंट्रोल रूम इंटेलिजेंस का। 

(७ )सहस्रार चक्र या ब्रह्मरन्ध्र (It is at the top of the head ,Cerebral Cortex)),प्रसव के समय नवजात के सिर पर (कंकाल या कपाट पर )एक सॉफ्ट स्पॉट देखा जा सकता है। यही है सहस्रार चक्र केंद्र। जो सभी केंद्रों का मास्टर केंद्र है। ज्ञानोदय ,आध्यात्मिक संचेतना ,आत्मबोध यहीं पैदा होता है। 

(शेष अगले अंक में ...  )

कुण्डलिनी ऊर्जा केंद्र :हमारे शरीर में कहाँ और कौन सा ऊर्जा केंद्र है ?

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )

कौन है वह , जो दूज के चाँद सा मिला , देखते ही देखते पूर्ण चंद्र बना और  ईद का चाँद हो गया।   भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )-१ 

Secrets of RSS Demystifying the Sangh(HINDI ALSO )

RSS volunteers at a camp in Shimla last year. आरएसएस संक्षिप्त रूप है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का। संघ एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गैरराजनीतिक संगठन है अपने जन्म से ही। आज इससे संबद्ध समाज सेवी संस्थाओं का एक पूरा नेटवर्क इंटरनेट की तरह सारे भारत में देखा जा सकता है। इन संस्थाओं के पूरे नेटवर्क ,फैलाव- प्रसार को ही 'संघपरिवार 'कहा जाता है। यदि आप इसी संस्था के बारे में मानस प्रकाशन ,4402/5A ,Ansari Road (Opp. HDFC Bank ),Darya Ganj ,New -Delhi -110 -002 से प्रकाशित पुस्तक 'Secrets  of RSS Demystifying the Sangh ,लेखक रतन शारदा ,पढेंगे और भारतधर्मी समाज से आप गहरे जुड़े हैं आपकी धड़कनों में भारत की सर्वसमावेशी संस्कृति का थोड़ा सा भी अंश मौजूद है ,आप इस संस्था की सहनशीलता ,औदार्य और भारत राष्ट्र के एकत्व को बनाये रखने की इसकी जी जान से की गई कोशिश की तारीफ़ करने में कंजूसी नहीं बरतेंगे। काश इस संस्था का फैलाव आज़ादी से पहले आज जैसा व्यापक होता तो मुस्लिम लीग और लेफ्टिए  अखंड भारतवर्ष के विभाजन का प्रस्ताव पारित करने से पहले ज़रूर संकोच करते। अपने वर्तमान स्वरूप म...

There's another problem with waiting for herd immunity: This virus is so new, no one knows whether antibodies developed after recovering from the virus will provide any long-term immunity.

(CNN) It's easy to fall into a false sense of security now that states have reopened. And many are already paying the price. States  are shutting down businesses again . Popular  beaches have closed . And the  rate of new Covid-19 infections keeps growing in most states , threatening to reverse the progress made during stay-at-home orders. So what happened? When states reopened to try to save the economy, the fate of this pandemic shifted from government mandates to personal responsibility. But many are not heeding that responsibility, instead letting their guard down too early due to popular misconceptions: If the economy is open, the pandemic is getting better, right? No. "This is not even close to being over,"  the head of the World Health Organization  said. Only about 5% to 8% of the US population has been infected with this new coronavirus, meaning we have a long way to go before reaching  herd immunity . Gatherings in home...