हिन्दू न मुसलमान ,बस किसान और जवान , बने मेरे देश की पहचान , तब सच्चे अर्थों में भारत बने महान। .............................. राजनीति की नौटंकी चलती रहती है , कभी हंसाये कभी रुलाये , मौसम तो बदला करता है। सुख -दुःख दोनों संग चले हैं , जीवन कब ठहरा करता है। कर्म करो नहीं फल की चिंता , फल तो खुद मिलता रहता है। ................................................. जीत गए तो हम जीते हैं हार गए तो ईवीएम , बिलकुल शेष नहीं है शेम। देश सुरक्षा गई भाड़ में राफेल बन गया इनका गेम, संविधान से खेले नित -उत नामचीन हुआ है नेम। कोर्ट के निर्णय को धकियाते , हो जाती जब टै टै टैम। संसद बनी रखैल है ,इनकी खड़गे -सुरजे हो गए जैम। लीला -पुरुष खड़ा हतप्रभ है ,फिर भी करता इनसे प्रेम। प्रस्तुति :वीरुभाई (वीरेंद्र शर्मा )