ये जन -अहित याचिकाकर्ता सब जानते हैं ये क्या कर रहें हैं
गत कई बरसों से केंद्र में सत्ता बदली के साथ हर चीज़ 'पेड ' चल पड़ी है शादी में मुंह खोलकर मांगे गए दहेज़ की तरह फिर चाहे वह पेड न्यूज़ हो या ट्वीट और अब जनहित याचिका।
तुलसीदास ने कहा था :
परहित सरिस धर्म नहीं भाई ,
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई।
तमाम किस्म के परपीड़क इन दिनों खरपतवार से फल फूल रहें हैं देसी विदेशी पैसे पर वेषधारी किसान टर्मॉइल से लेकर सेन्ट्रल विस्टा के खिलाफ गाहे बगाहे प्रकटित आक्रोश -जीवियों से।
ताज़ा -तरीन मामला मैडम आन्या मल्होत्रा (पेशे से अनुवादक )एवं सोहैल हाशमी (वृत्त चित्र निर्माता )द्वारा प्रस्तुत जनहित याचिका से ताल्लुक रखता है जिस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्हें अच्छी फटकार लगाईं गई है एक बेहद महत्व के राष्ट्रीय मुद्दे पर जिसे मैं और आप सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के नाम से जानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसे निर्देशित और फ़िज़ूल की याचिका बतलाया है जुर्माना भी ठोका है दोनों पर एक लाख का।
बतलाते चलें वर्तमान संसद भवन पुराने जमुना पुल की तरह अपनी आयु भुगता चुका है इसे बनाये रखने पर अब खर्च बे -शुमार आ रहा है मेरे एक जानकार बतलाते हैं जो बरसों बरस राज्य सभा के एक वरिष्ठ जिम्मेवार आफीसर रहे हैं ,कि एक मर्तबा राज्य सभा के सत्र को दिन भर के लिए इसलिए मुल्तवी किया गया ,भवन के नीचे बहने वाले एक गंदे नाले से इतनी बू आ रही थी कि भवन गंधाने लगा था। मरम्मत बाद ही सत्र चालू हुआ।
ये याचिका करता अक्ल नरेश और अक्ल मणिका या तो बिलकुल ही अक्ल से पीड़ित अक्ल के दुश्मन है या फ़िर एक दम से शातिर ,बिकाऊ माल हैं। पूछा जा सकता है इस एक पीआईएल के लिए इन्होनें किस किस से कितनी राशि ऐंठी ?
सुप्रीम कोर्ट को उन्हें भी चेतावनी देनी चाहिए जो इस प्रोजेक्ट का धारावाहिक विरोध करते आ रहे हैं।आउल गांधी और उनके प्राणिउद्यान में पालित अनेक जीवों द्वारा।
सेन्ट्रल विस्टा पर उन्हें है गहरी आपत्ति ,
दूषित हुए दिमाग की लगती है यह उत्पत्ति।
लगती यह उत्पत्ति समझ में सबको आया,
तभी कोर्ट ने डोज़ उन्हें तगड़ा पिलवाया।
खुराफात के साथ रही है जिनकी निष्ठा ,
उनको ही बेकार लग रही सेन्ट्रल विस्टा।
-------कविवर ओमप्रकाश तिवारी
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