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नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया

नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। पौराणिक आख्यानों से सामिग्री लेकर आपने १८०० पृष्ठों का एक वृहदाकार  उपन्यास रामकथा को समर्पित किया। यह भारतीय सांस्कृतिक  परम्परा को तार्किक जमीन  मुहैया करवाता है। उदात्त मूल्यों को मूर्त रूप दिया है इस लेंडमार्क रचना ने। 

कृष्ण कथा को लेकर आपने उपन्यास 'अभिज्ञान' तथा महाभारत इतिहास को एक और उपन्यास 'महासमर 'में उड़ेला। यहां  मेरी आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कृष्ण ,कर्ण और दुर्योधन आपको मिलेंगे। ममता दी के अपने दुर्योधन हैं। उनके अपने युधिठिर भी होंगे ही। 

आपका धरावाहिक उपन्यास  तोड़ो कारा तोड़ो रवींद्र नाथ ठाकुर के गीत की एक अनूदित पंक्ति है। कथा विवेकानंद की जीवन कथा से ताल्लुक रखती है। यहां कोहली जी ठाकुर के साथ एक रस हो जाते हैं ,अपने नायक से उनका पूर्ण तादात्म्य स्थापित हो जाता है। उपन्यास रचकर वह उनके जीवन संघर्षों को जीवित करते हैं सामजिक ,धार्मिक ,राजनीतिक संघर्षों का अतिक्रमण करते हैं विवेकानंद। शायद  युवा भीड़ ने उनका गुण गायन तो बहुत किया है लेकिन उन गुणों के विकास में  जिन संघर्षों का अवदान रहा है उससे यह पीढ़ी वाकिफ नहीं है। 

आपका स्मरण करते हुए कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट किया :

'रामकथा अभ्युदय सरीखे ग्रन्थ से जन-मन में स्थान सुनिश्चित करने वाले ,मेरे प्रति अगाध स्नेह और आशीष रखने वाले वरिष्ठ साहित्यकार पद्मभूषण नरेंद्र कोहली जी कोरोना के कारण अपने आराध्य राघवेंद्र के साकेत धाम पहुँच गए। अभी तो रामजन्म भूमि के द्वार  आपसे  सत्संग हुआ था। "आपके गो लोक गमन पर आपकी दिव्यता को हमारे भी प्रणाम।

कुमार विश्वास और भी हैं। उन्हें भी पुष्पांजलि दे लेने दो। 

वीरुभाई     

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