सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

टेंशन बढ़ाने वाली खबर: हवा के रास्ते फैलता है कोरोना वायरस, इस स्टडी में वैज्ञानिकों को मिले सबूत

 

face mask

कोरोना की इस दूसरी लहर ने पूरे देश में हाहाकार मचा दिया है। भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के कई देशों में नए वैरिएंट का प्रकोप दिखाई दे रहा है। भारत एक बार फिर लॉकडाउन लगाने की कगार पर है। ऐसे में वायरस को लेकर अलग-अलग रिसर्च की जा रही हैं। अभी हाल ही में मेडिकल पत्रिका लांसेट की रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस बात के ठोस सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि कोविड-19 में पाए जाने वाला Sars-coV02 वायरस मुख्य रूप से हवा के जरिए फैलता है।

रिपोर्ट जारी करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि सुरक्षा मनदंडों में बदलाव करने की भी जरूरत है। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने अपने बात का समर्थन करते हुए कई मजबूत तर्क भी पेश किए हैं और कहा कि इस बात के ठोस सबूत नहीं मिले हैं जो यह साबित कर सकें कि वायरस हवा के जरिए नहीं फैलता है।

अध्ययनों ने पहले संकेत दिया है कि कोरोनावायरस हवा के जरिए फैल सकता है, लेकिन यह पहला ऐसा विश्लेषण है जो कहता है कि प्रमुख रूप से इसके हवाई रास्ते के जरिए फैलने की संभावना है। महामारी के शुरुआती दिनों में, यह माना जाता था कि वायरस तब फैलता है जब संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर निकली छोटी बंदें किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती हैं और उसे दूषित कर देती हैं।

पिछले साल जुलाई में 32 देशों के लगभग 200 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखा था, इस बात के सबूत हैं कि कोरोनावायरस हवाई है। कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय के जोस-लुइस जिमेनेज ने कहा, "हवाई संक्रमण का समर्थन करने वाले सबूत भारी हैं, और बूंदों के संचरण का समर्थन करने वाले सबूत लगभग गैर-मौजूद हैं।"

अध्ययन के लेखकों में से एक, जिमेनेज ने पीटीआई को बताया, "यह जरूरी है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियां ​​संचरण के अपने विवरण को वैज्ञानिक सबूतों के अनुसार ढालें ​​ताकि शमन पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।"

ब्रिटेन अमेरिका, यूएस और कनाडा के विशेषज्ञों ने मिलकर यहा रिपोर्ट तैयार की है और इसकी समीक्षा करते हुए सबूत के रूप में कई कारण भी बताए हैं।

वायरस के सुपरस्प्रेडिंग इवेंट तेजी से SARS-CoV-2 वायरस को आगे ले जाता है। असल में, यह वायरस महामारी के शुरुआती वाहक हो सकते हैं। ऐसे ट्रांसमिशन का बूंदों के बजाय हवा के जरिए होना ज्यादा आसान है।

क्वरंटीन होटलों या दूसरी जगहों पर एक-दूसरे से चिपके कमरों में रह रहे लोगों के बीच भी यह संक्रमण देखा गया जबकि दोनों ही लोग एक-दसूरे के कमरे में नहीं गए.  रिपर्च म बताया गया है कि वायरस का ट्रांसमिशन बाहर के बजाय अंदर अधिक होचा है और अगर अंदर वेंटिलेशन हो तो संभावना काफी कम हो जाती है. 

रिपोर्ट में ह भी बताया गया है कि यह वायरस हवा में पाया गया औऱ लैब में यह वायरस 3 घंटे तक हवा में बना रहा. कोरोना के मरीज के कमरों, गाड़ियों में इसके सैंपल मिलें। इसके अलावा SARS-CoV-2 वायरस वाले मरीजों के अस्पतालों के एयर फिल्टर्स और बिल्डिंग में डक्ट्स मिले हैं जो हवा के जरिए ही यहां तक पहुंच सकते हैं।

डॉक्टरों ने कहा कि यह वायरस हवा से नहीं फैलता है इसे साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं है। अगर वैज्ञानिकों के दिए इन सुझावों को स्वीकार कर लिया जाता है तो पूरी दुनिया की कोरोना वायरस से लड़ने की रणनीति पर एक बड़ा असर पड़ेगा।

https://www.livehindustan.com/national/story-lancet-research-scientists-virus-spreads-rapidly-through-the-air-corona-virus-stain-covid-19-3981475.html

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Secrets of RSS Demystifying the Sangh(HINDI ALSO )

RSS volunteers at a camp in Shimla last year. आरएसएस संक्षिप्त रूप है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का। संघ एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गैरराजनीतिक संगठन है अपने जन्म से ही। आज इससे संबद्ध समाज सेवी संस्थाओं का एक पूरा नेटवर्क इंटरनेट की तरह सारे भारत में देखा जा सकता है। इन संस्थाओं के पूरे नेटवर्क ,फैलाव- प्रसार को ही 'संघपरिवार 'कहा जाता है। यदि आप इसी संस्था के बारे में मानस प्रकाशन ,4402/5A ,Ansari Road (Opp. HDFC Bank ),Darya Ganj ,New -Delhi -110 -002 से प्रकाशित पुस्तक 'Secrets  of RSS Demystifying the Sangh ,लेखक रतन शारदा ,पढेंगे और भारतधर्मी समाज से आप गहरे जुड़े हैं आपकी धड़कनों में भारत की सर्वसमावेशी संस्कृति का थोड़ा सा भी अंश मौजूद है ,आप इस संस्था की सहनशीलता ,औदार्य और भारत राष्ट्र के एकत्व को बनाये रखने की इसकी जी जान से की गई कोशिश की तारीफ़ करने में कंजूसी नहीं बरतेंगे। काश इस संस्था का फैलाव आज़ादी से पहले आज जैसा व्यापक होता तो मुस्लिम लीग और लेफ्टिए  अखंड भारतवर्ष के विभाजन का प्रस्ताव पारित करने से पहले ज़रूर संकोच करते। अपने वर्तमान स्वरूप म...

भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )

कौन है वह , जो दूज के चाँद सा मिला , देखते ही देखते पूर्ण चंद्र बना और  ईद का चाँद हो गया।   भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )-१ 

नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया

नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। पौराणिक आख्यानों से सामिग्री लेकर आपने १८०० पृष्ठों का एक वृहदाकार  उपन्यास रामकथा को समर्पित किया। यह भारतीय सांस्कृतिक  परम्परा को तार्किक जमीन  मुहैया करवाता है। उदात्त मूल्यों को मूर्त रूप दिया है इस लेंडमार्क रचना ने।  कृष्ण कथा को लेकर आपने उपन्यास 'अभिज्ञान' तथा महाभारत इतिहास को एक और उपन्यास 'महासमर 'में उड़ेला। यहां  मेरी आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कृष्ण ,कर्ण और दुर्योधन आपको मिलेंगे। ममता दी के अपने दुर्योधन हैं। उनके अपने युधिठिर भी होंगे ही।  आपका धरावाहिक उपन्यास  तोड़ो कारा तोड़ो रवींद्र नाथ ठाकुर के गीत की एक अनूदित पंक्ति है। कथा विवेकानंद की जीवन कथा से ताल्लुक रखती है। यहां कोहली जी ठाकुर के साथ एक रस हो जाते हैं ,अपने नायक से उनका पूर्ण तादात्म्य स्थापित हो जाता है। उपन्यास रचकर वह उनके जीवन संघर्षों को जीवित करते हैं सामजिक ,धार्मिक ,राजनीतिक संघर्षों का अतिक्रमण करते हैं विवेकानंद। शायद  युवा भीड़ ने उ...