सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

ऐसो कौ उदार जग माहीं


ऐसो कौ उदार जग माहीं ।
1/3
1

ऐसो कौ उदार जग माहीं ।

ऐसो कौ उदार जग माहीं । बिनु सेवा जो द्रवे दीन पर, राम सरस कोउ नाहिं  ॥ जो गति जोग बिराग जतन करि नहिं पावत मुनि ज्ञानी । सो गति देत गीध सबरी कहँ प्रभु न बहुत जिय जानी ॥ जो संपति दस सीस अरप करि रावण सिव पहँ लीन्हीं । सो संपदा विभीषण कहँ अति सकुच सहित हरि दीन्हीं ॥ तुलसीदास सब भांति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो । तो भजु राम काम सब पूरन करहि कृपानिधि तेरो ॥

भावार्थ
2/3
2

भावार्थ

गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं - इस संसार में भगवान् राम के समान दयावान कोई नहीं है जो बिना सेवा के  दीन -दुखियों  पर अपनी कृपा बरसाते हैं . बड़े बड़े मुनियों , ज्ञानियों को भी अपने योग और तपस्या के बल पर वैसा आशीर्वाद नहीं मिल पाता , जैसा भगवान् राम ने जटायु और शबरी को दिया . जिस कृपा को पाने के लिए रावण को अपने दस सिरों का बारम्बार  अर्पण करना पड़ा , वही प्रभु कृपा विभीषण को कुछ त्याग किये बिना श्रीराम से प्राप्त हो गई . इसलिए कवि कहतें हैं  - हे मन ! अगर मेरे जीवन में सभी सुखों को पाना है और भगवान् की भक्ति पानी है तो श्रीराम को भजो . वही सबका कल्याण करते हैं और सबकी मनोकामना पूरी करते हैं !

हरे कृष्णा 

संदर्भ -सामिग्री :https://hindi.speakingtree.in/allslides/%E0%A4%90%E0%A4%B8%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A5%8C-%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%97-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A5%A4

ऐसो कौ उदार जग माहीं ।
3/3
3

ऐसो कौ उदार जग माहीं ।

उपरोक्त पद संत तुलसी दास द्वारा रचित विनय पत्रिका से लिया गया है ! ॐ ॐ ॐ 

सन्दर्भ -सामिग्री :https://hindi.speakingtree.in/allslides/%E0%A4%90%E0%A4%B8%E0%A5%8B-%E0%A4%95%E0%A5%8C-%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%9C%E0%A4%97-%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%80%E0%A4%82-%E0%A5%A4

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Secrets of RSS Demystifying the Sangh(HINDI ALSO )

RSS volunteers at a camp in Shimla last year. आरएसएस संक्षिप्त रूप है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का। संघ एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक गैरराजनीतिक संगठन है अपने जन्म से ही। आज इससे संबद्ध समाज सेवी संस्थाओं का एक पूरा नेटवर्क इंटरनेट की तरह सारे भारत में देखा जा सकता है। इन संस्थाओं के पूरे नेटवर्क ,फैलाव- प्रसार को ही 'संघपरिवार 'कहा जाता है। यदि आप इसी संस्था के बारे में मानस प्रकाशन ,4402/5A ,Ansari Road (Opp. HDFC Bank ),Darya Ganj ,New -Delhi -110 -002 से प्रकाशित पुस्तक 'Secrets  of RSS Demystifying the Sangh ,लेखक रतन शारदा ,पढेंगे और भारतधर्मी समाज से आप गहरे जुड़े हैं आपकी धड़कनों में भारत की सर्वसमावेशी संस्कृति का थोड़ा सा भी अंश मौजूद है ,आप इस संस्था की सहनशीलता ,औदार्य और भारत राष्ट्र के एकत्व को बनाये रखने की इसकी जी जान से की गई कोशिश की तारीफ़ करने में कंजूसी नहीं बरतेंगे। काश इस संस्था का फैलाव आज़ादी से पहले आज जैसा व्यापक होता तो मुस्लिम लीग और लेफ्टिए  अखंड भारतवर्ष के विभाजन का प्रस्ताव पारित करने से पहले ज़रूर संकोच करते। अपने वर्तमान स्वरूप म...

भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )

कौन है वह , जो दूज के चाँद सा मिला , देखते ही देखते पूर्ण चंद्र बना और  ईद का चाँद हो गया।   भाव -सरणियाँ (क्षणिकाएं )-१ 

नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया

नरेंद्र कोहली ने आधुनिक हिंदी गद्य साहित्य में महाकाव्य लेखन कर पौराणिक परम्पराओं को आधुनिक परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया। पौराणिक आख्यानों से सामिग्री लेकर आपने १८०० पृष्ठों का एक वृहदाकार  उपन्यास रामकथा को समर्पित किया। यह भारतीय सांस्कृतिक  परम्परा को तार्किक जमीन  मुहैया करवाता है। उदात्त मूल्यों को मूर्त रूप दिया है इस लेंडमार्क रचना ने।  कृष्ण कथा को लेकर आपने उपन्यास 'अभिज्ञान' तथा महाभारत इतिहास को एक और उपन्यास 'महासमर 'में उड़ेला। यहां  मेरी आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी के कृष्ण ,कर्ण और दुर्योधन आपको मिलेंगे। ममता दी के अपने दुर्योधन हैं। उनके अपने युधिठिर भी होंगे ही।  आपका धरावाहिक उपन्यास  तोड़ो कारा तोड़ो रवींद्र नाथ ठाकुर के गीत की एक अनूदित पंक्ति है। कथा विवेकानंद की जीवन कथा से ताल्लुक रखती है। यहां कोहली जी ठाकुर के साथ एक रस हो जाते हैं ,अपने नायक से उनका पूर्ण तादात्म्य स्थापित हो जाता है। उपन्यास रचकर वह उनके जीवन संघर्षों को जीवित करते हैं सामजिक ,धार्मिक ,राजनीतिक संघर्षों का अतिक्रमण करते हैं विवेकानंद। शायद  युवा भीड़ ने उ...