नीदरलैंड की एक महिला ने गाय के गोबर से कपड़ा बना दिया है। भले ही ये थोड़ा हैरान करने वाला है लेकिन इस महिला ने यह अऩोखा आविष्कार कर दिया है।
भारत धर्मी समाज में गाय को माता का दर्ज़ा प्राप्त है किसानी की यह रीढ़ रही है। इससे प्राप्त हर उत्पाद बेशकीमती साबित हुआ है। चाहे वह गौ मूत्र से एचआईवी एड्स जैसे लाइलाज असाध्य रोगों के उपचार के लिए दवा बनाने की बात हो या फिर गाय के गोबर से बनाये गए अनेक उत्पादों की। गाय के गोबर में जीवाणु रोधी गुण हैं इसीलिए इसका इस्तेमाल घरों को लीपने के लिए हर मांगलिक अवसर पर किया जाता रहा है।
गाय से तैयार पञ्च - गव्य का वेदों में भी ज़िक्र है। पञ्च गव्य को तैयार करने में गाय से प्राप्त घी (घृत ),दुग्ध ,दही ,गौ मूत्र और बछिया (बिन ब्याही गैया )का गोबर एक ख़ास अनुपात में काम में लाये जाते हैं। तमाम पूजा अर्चनाओं में इसे एक सम्मान जनक स्थान प्राप्त है। गाय के शरीर में तैतीस कोटि देवताओं का वास बतलाया गया है।
जब गाय अपने हिस्से का दूध दे चुकी होती है और बूढी हो जाती है तब भी उससे प्राप्त गौ मूत्र ,और गोबर तथा गौ रेचन (गाय के कान का मैल )उस पर आये रोज़मर्रा के खर्च की कीमत अदा कर देता है।
गौ रेचन से मीग्रैन की दवा तैयार की जाती है।
गाय के गोबर में ताप रोधी गुण हैं इसे घेरे रहती है एक पारदर्शी इंसुलेटिंग लेयर। बाहर का तापमान भले उच्चतर बना रहे गोबर अपना आंतरिक तापमान बनाये रहता है। इस ट्रंसपरेंट लेयर के अंदर ऊँगली गढ़ा के देख लीजिए इसका तापमान यकसां मिलेगा बाहर के तापमान से प्रभावित नहीं होगा।
अब बात करते हैं एक अभिनव प्रयोग की जिसके तहत गाय के गोबर से वस्त्र तैयार करने का नायाब काम एक नीडरलेंड की शोध छात्रा ने किया है पढ़िए ये रिपोर्ट :
जयपुर। हिन्दू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गौरतलब है कि वैज्ञानिक रूप से भी यह बात साबित हो चुकी है कि गाय से संबंधित उत्पाद जैसे दूध, मूत्र और गोबर में चमत्कारिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। बता दे कि आयुर्वेद में कई दवाइयां गौमूत्र और गाय के दूध से बनाई जाती है। मगर एक महिला ने गाय के गोबर से ऐसी चीज बना दी है जिसकी आप कल्पना भी नही कर सकते हैं।
जी हां, हम बात कर रहे है नीदरलैंड की एक महिला की जिसने गाय के गोबर से कपड़े बनाकर इतिहास रच दिया है। आपको शायद यकीन नहीं हो रहा होगा, पर ये सच है कि नीदरलैंड की रहने वाली महिला व्यवसायी और कलाकार जलिला एसाइदीनाम ने दुनिया में पहली बार गाय के गोबर से कपड़ा बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इस डच महिला ने वन डच नामक स्टार्टअप कंपनी के जरिए बाजार में पहली बार गाय के गोबर से बने वस्त्र पेश किये हैं।
दरअसल जलिला एक बायोआर्ट एक्सपर्ट हैं। उसने कई सालों तक गाय के गोबर पर शोध किया है। इसी के चलते आखिरकार जलिला को गाय के गोबर से सेल्यूलोज को अलग करने की कला आ ही गई। इस तरह जलिला ने गाय के गोबर से कई पोशाकें डिजाइन की हैं। बता दे कि जलिला ने गाय के गोबर से मिलने वाले सेल्यूलोज का उपयोग करके टॉप और शर्ट बनाई हैं।
इतना ही नहीं जलिला ने गाय के गोबर से कपड़े बनाने के बाद बचे हुए गोबर को रिसाइकिल करके बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और पेपर भी बना दिया है। इस तरह गाय के गोबर को जलिला ने काफी उपयोगी साबित कर दिया है। जलिला को इस अनोखे आविष्कार के लिए अवॉर्ड भी दिया गया है। जलिला को इसके लिए दो लाख डॉलर यानी के लगभग 1.40 करोड़ रुपये की राशि भी मिली है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
https://www.naukrinama.com/stressbuster/dutch-artist-jalila-essaidi-made-cloth-from-cow-poo/
भारत धर्मी समाज में गाय को माता का दर्ज़ा प्राप्त है किसानी की यह रीढ़ रही है। इससे प्राप्त हर उत्पाद बेशकीमती साबित हुआ है। चाहे वह गौ मूत्र से एचआईवी एड्स जैसे लाइलाज असाध्य रोगों के उपचार के लिए दवा बनाने की बात हो या फिर गाय के गोबर से बनाये गए अनेक उत्पादों की। गाय के गोबर में जीवाणु रोधी गुण हैं इसीलिए इसका इस्तेमाल घरों को लीपने के लिए हर मांगलिक अवसर पर किया जाता रहा है।
गाय से तैयार पञ्च - गव्य का वेदों में भी ज़िक्र है। पञ्च गव्य को तैयार करने में गाय से प्राप्त घी (घृत ),दुग्ध ,दही ,गौ मूत्र और बछिया (बिन ब्याही गैया )का गोबर एक ख़ास अनुपात में काम में लाये जाते हैं। तमाम पूजा अर्चनाओं में इसे एक सम्मान जनक स्थान प्राप्त है। गाय के शरीर में तैतीस कोटि देवताओं का वास बतलाया गया है।
जब गाय अपने हिस्से का दूध दे चुकी होती है और बूढी हो जाती है तब भी उससे प्राप्त गौ मूत्र ,और गोबर तथा गौ रेचन (गाय के कान का मैल )उस पर आये रोज़मर्रा के खर्च की कीमत अदा कर देता है।
गौ रेचन से मीग्रैन की दवा तैयार की जाती है।
गाय के गोबर में ताप रोधी गुण हैं इसे घेरे रहती है एक पारदर्शी इंसुलेटिंग लेयर। बाहर का तापमान भले उच्चतर बना रहे गोबर अपना आंतरिक तापमान बनाये रहता है। इस ट्रंसपरेंट लेयर के अंदर ऊँगली गढ़ा के देख लीजिए इसका तापमान यकसां मिलेगा बाहर के तापमान से प्रभावित नहीं होगा।
अब बात करते हैं एक अभिनव प्रयोग की जिसके तहत गाय के गोबर से वस्त्र तैयार करने का नायाब काम एक नीडरलेंड की शोध छात्रा ने किया है पढ़िए ये रिपोर्ट :
जयपुर। हिन्दू धर्म में गाय को मां का दर्जा दिया गया है। गौरतलब है कि वैज्ञानिक रूप से भी यह बात साबित हो चुकी है कि गाय से संबंधित उत्पाद जैसे दूध, मूत्र और गोबर में चमत्कारिक औषधीय गुण पाये जाते हैं। बता दे कि आयुर्वेद में कई दवाइयां गौमूत्र और गाय के दूध से बनाई जाती है। मगर एक महिला ने गाय के गोबर से ऐसी चीज बना दी है जिसकी आप कल्पना भी नही कर सकते हैं।
जी हां, हम बात कर रहे है नीदरलैंड की एक महिला की जिसने गाय के गोबर से कपड़े बनाकर इतिहास रच दिया है। आपको शायद यकीन नहीं हो रहा होगा, पर ये सच है कि नीदरलैंड की रहने वाली महिला व्यवसायी और कलाकार जलिला एसाइदीनाम ने दुनिया में पहली बार गाय के गोबर से कपड़ा बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इस डच महिला ने वन डच नामक स्टार्टअप कंपनी के जरिए बाजार में पहली बार गाय के गोबर से बने वस्त्र पेश किये हैं।
दरअसल जलिला एक बायोआर्ट एक्सपर्ट हैं। उसने कई सालों तक गाय के गोबर पर शोध किया है। इसी के चलते आखिरकार जलिला को गाय के गोबर से सेल्यूलोज को अलग करने की कला आ ही गई। इस तरह जलिला ने गाय के गोबर से कई पोशाकें डिजाइन की हैं। बता दे कि जलिला ने गाय के गोबर से मिलने वाले सेल्यूलोज का उपयोग करके टॉप और शर्ट बनाई हैं।
इतना ही नहीं जलिला ने गाय के गोबर से कपड़े बनाने के बाद बचे हुए गोबर को रिसाइकिल करके बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और पेपर भी बना दिया है। इस तरह गाय के गोबर को जलिला ने काफी उपयोगी साबित कर दिया है। जलिला को इस अनोखे आविष्कार के लिए अवॉर्ड भी दिया गया है। जलिला को इसके लिए दो लाख डॉलर यानी के लगभग 1.40 करोड़ रुपये की राशि भी मिली है।
सन्दर्भ -सामिग्री :
https://www.naukrinama.com/stressbuster/dutch-artist-jalila-essaidi-made-cloth-from-cow-poo/
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